2 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष का आरम्भ हो चूका है, ऐसे में जल्द ही श्राद्ध नवमी आने वाली है | इस बार श्राद्ध नवमी 11 सितम्बर को आ रही है | ज्योतिष के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है | इस दिन किये जाने वाले श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है | इस दिन परलोक सिधार चुकी माताओ और बहनो के नाम से श्राद्ध किया जाता है | ऐसा बताया जाता है कि नवमी श्राद्ध कर्म करने से सुख शांति और धन वैभव की प्राप्ति होती है | ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे कार्यो के बारे में बताने जा रहे है, जो आपकी इच्छाओ की पूर्ति कर सकते है | तो आइये देखते है, आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या खास है |
मातृ नवमी पर करे ये ख़ास काम
मातृ नवमी के दिन आप सुबह जल्दी उठ जाए और नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान कर ले | इसके बाद अपने घर की दक्षिण दिशा में हरे रंग का एक कपडा बिछाए |
अब आप अपने पितरो की तस्वीर या एक सुपारी उनकी प्रतिमा स्वरूप उस कपडे पर स्थापित कर ले | अब आप तेल का एक दीपक जलाये, सुगन्धित धूप, जल में मिश्री और तेल मिलकर तर्पण करे |
आप आटे का एक बड़ा दीपक बनाये और उसे प्रज्वल्लित करे |
पितरो की तस्वीर पर गोरोचन और तुलसी का पत्ता अर्पित करे |
इस बात का ध्यान रखे कि श्राद्ध करने वाले शख्स को कुशा के आसन पर बैठना होता है | साथ ही आप श्रीमद भागवत गीता के नवे अध्याय का भी पाठ करना होगा |
नवमी श्राद्ध के दिन आप निर्धन और ब्राह्मणो को भोजन करवाए | साथ ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा प्रदान करे |
इन बातो का रखे विशेष
पितृपक्ष के दिनों में आप लौहे के बर्तनो का इस्तेमाल ना करे |
पितृपक्ष के दौरान दुसरो के घर भोजन, पान का सेवन नहीं करना चाहिए | साथ ही शरीर पर तेल मलने से भी बचना चाहिए |
कुत्ते, बिल्ली, कौए, साथ अन्य पशु पक्षियों का अपमान, परेशान नहीं करना चाहिए |
द्वार पर आये किसी भी जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए |
श्राद्ध पक्ष में दाढ़ी मूंछ ना कटवाए |
श्राद्ध के दौरान आप सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, मसूर जैसी चीजों का सेवन करने से बचे |